*बाबासाहेब और ब्राह्मण संस्कार

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*जो लोग संस्कार करवाने के लिए ब्राह्मण को बुलाते हैं उनसे एक सवाल है कि क्या आपको नहीं लगता है कि आप बाबा साहेब अंबेडकर की सोच के खिलाफ जा रहे हैं ?*

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*जो लोग बाबा साहेब अंबेडकर की सोच के साथ साथ सभी बहुजन महापुरुषों जिनमें संत शिरोमणि रविदास जी महाराज कबीर ,नारायणा गुरु, रामास्वामी पेरियार, ज्योतिराव फुले, सावित्री बाई फुले व मान्यवर कांशीराम साहब की विचारधारा के विरुद्ध जाकर अथवा बाबा साहेब से भी ज्यादा बुद्धिमान स्वयं को मानकर अपने घर संस्कार करवाने के लिए ब्राह्मण को बुलाते हैं उनका अक्सर जवाब होता है कि ब्राह्मण से संस्कार करवाने की सदियों से परम्परा रही है। उनकी यह बात बिलकुल सत्य है इसमें कोई दो राय नहीं है  लेकिन परम्परा तो मरे हुए जानवरों को उठाने की भी थी, परम्परा तो गले में मटकी और कमर में झाड़ू बांधने की भी थी, परम्परा तो अपनी दुल्हन को सबसे पहले ब्राह्मण के पास भेजने की भी थी, परम्परा तो फटे पुराने वस्त्र पहनने व झूठन खाने की भी थी,परम्परा तो गंदा पानी पीने की भी थी, परम्परा तो गाँव से बाहर झोपड़ियों में रहने की भी थी, परम्परा तो कर्मचारी व अधिकारी बनने की बजाय गुलाम व दास बनकर ऊपर के तीनो वर्णों की सेवा करने की भी थी, परंपरा तो SC, ST, OBC के लोगों को अनपढ़ रखने की भी थी, यदि यकीन नहीं आता है तो हिंदू धर्म गर्न्थो को पढ़कर देख लेना जिनमें साफ साफ लिखा हुआ है कि शुद्र समाज के लोग किसी भी सूरत में पढ़ने नहीं चाहिएं यदि वे वेदों को पढ़ लें तो उनकी जीभ काट देनी चाहिए और वेद मंत्रों को सुन लेते हैं तो उनके कानों में शीशा पिंघलाकर डाल देना चाहिए।*

*कुछ लोगों का कहना होता है कि हिंदू धर्म गर्न्थो में शूद्रों को पढ़ने के लिए मना नहीं किया है बल्कि केवल वेदों को पढ़ने के लिए ही मना किया है इन अक्ल के अंधों को यह भी मालूम नहीं है कि पहले स्कूल कॉलेज नहीं होते थे**

 *गुरुकुल व आश्रम में पढ़ाया जाता था और वहाँ पर केवल वेदों को ही पढ़ाया जाता था, यदि विज्ञान को पढ़ाया जाता तो भारत के लोग भी किसी चीज का तो  आविष्कार जरूर करते  लेकिन साईकिल से लेकर हवाई जहाज तक सभी चीजों का आविष्कार तो विदेशियों ने ही किया है।*

*आजकल शोषित समाज के लोग केवल पढ़ ही नहीं रहे हैं* *बल्कि अध्यापक व प्रोफेसर बनकर पढ़ाने का काम भी कर रहे हैं व सरकारी कर्मचारी ही नहीं बल्कि बड़े बड़े अधिकारी भी बन रहे हैं और यह सब बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन संघर्ष की बदौलत सम्भव हो पाया है।*

 *बाबा साहेब अंबेडकर की सोच  थी कि हमें कोई भी संस्कार ब्राह्मण के द्वारा बिलकुल भी नहीं कराना चाहिए।*


*बाबा साहेब अंबेडकर ने इस सम्बंध में बाकायदा संकल्प लिया था कि मैं कोई भी संस्कार ब्राह्मण से नहीं करवाऊंगा।*

*ऐसा संकल्प पूरे शोषित समाज को लेना चाहिए  लेकिन हमारे लोग आज भी संस्कार करवाने के लिए उसी ब्राह्मण को बुलवाते हैं जिसके लिए बाबा साहेब ने मना किया था।*

*अतः एक बार पुनः उन लोगों से पूछना चाहते हैं कि क्या आपको ऐसा नहीं लगता है कि  संस्कार के लिए ब्राह्मण को  बुलाकर आप बाबा साहेब अंबेडकर की सोच के साथ साथ तमाम बहुजन महापुरुषों की विचारधारा के विरुद्ध जा रहे है।*

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
मैंने बाबा साहब के विचार को पढ़ा है और हमेशा उन्हीं के रास्ते पे चलने की कोशिश किया है, और हा मैं ब्राह्मण के बनाये हुए पाखंड से पूरी तरह मुक्क्त हो चुका हूँ।

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