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दिसंबर 13, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ब्राह्मणों की दुकान के तीन सामान* *भय,भाग्य और भगवान।

ये सामान खरीदना जिस दिन बंद कर दोगे उसी दिन गुलामी से मुक्ति हो जाएगी।* *जिस शुद्र को हिंदू होने का तगडा नशा है वो अपने बाप दादा की जन्म कुंडली पढ ले सुनहरे शब्दो मै वर्ण शुद्र गण राक्षस लिखकर मिलेगा* *हजारों सालों से,* *?????????????????????*  *गंगाजल से नहाकर भी*,  *मंदिरों में जाकर भी,*  *पूजापाठ करके भी*, *हवन-यज्ञ करवाकर भी,*  *दान-पुण्य करके भी*  *अगर आप अछूत से, सछूत और..* 💐💐💐💐💐💐💐💐 *शूद्र से शुद्ध नहीं हुए,* *तथा* *जिस धर्म में*  *शूद्र एवं अछूतों का उद्धार व* *जीवन मुक्ति का मार्ग नहीं* *वह धर्म नही, अधर्म है* *तथा यह गलती धर्म की है* *अगर आप संविधान लागू होने के बाद,* 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸  *अशिक्षित से शिक्षित,विद्वान* *गरीब से अमीर ,धनवान*  *नीच से उच्च, समर्थवान* *कमजोर से ताकतवर,* *नौकर से मालिक,*  *चपरासी से अधिकारी* *शासक से प्रशासक*    *बन रहे हों, तो यह कमाल संविधान का है।* 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾 *धर्म के चमत्कारों पर नहीं, संविधान के अधिकारों पर विश्वास करिए..* *🙏🌸आपका कल्याण हो🌸🙏*

*बाबासाहेब और ब्राह्मण संस्कार

 *✍️✍️✍️✍️✍️                  👉    👈           🙏🌹🙏🌹🙏 *जो लोग संस्कार करवाने के लिए ब्राह्मण को बुलाते हैं उनसे एक सवाल है कि क्या आपको नहीं लगता है कि आप बाबा साहेब अंबेडकर की सोच के खिलाफ जा रहे हैं ?*   🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 *जो लोग बाबा साहेब अंबेडकर की सोच के साथ साथ सभी बहुजन महापुरुषों जिनमें संत शिरोमणि रविदास जी महाराज कबीर ,नारायणा गुरु, रामास्वामी पेरियार, ज्योतिराव फुले, सावित्री बाई फुले व मान्यवर कांशीराम साहब की विचारधारा के विरुद्ध जाकर अथवा बाबा साहेब से भी ज्यादा बुद्धिमान स्वयं को मानकर अपने घर संस्कार करवाने के लिए ब्राह्मण को बुलाते हैं उनका अक्सर जवाब होता है कि ब्राह्मण से संस्कार करवाने की सदियों से परम्परा रही है। उनकी यह बात बिलकुल सत्य है इसमें कोई दो राय नहीं है  लेकिन परम्परा तो मरे हुए जानवरों को उठाने की भी थी, परम्परा तो गले में मटकी और कमर में झाड़ू बांधने की भी थी, परम्परा तो अपनी दुल्हन को सबसे पहले ब्राह्मण के पास भेजने की भी थी, परम्परा तो फटे पुराने वस्त्र पहनने व झूठन खाने की भी थी,परम्परा तो गंदा पानी पीने की भी थी, परम्परा तो गाँव से बाहर झोपड़ियों